‘वेदों में शक्ति तत्व ‘अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 8 से 10 सितम्बर 2016
संस्कृति में शक्ति स्वरूपा स्त्री का विशेष महत्व था। सृष्टि की पोषक एवं संवाहक नारी सदैव सम्माननीय एवं वन्दनीय है। वर्तमान में स्त्री एवं पुरुष में असमानता प्रतीत होती हैए जो वैदेशिक संक्रमण का प्रभाव है। इन्हीं तथ्यों को जनसामान्य के सम्मुख लाने हेतु राजस्थान संस्कृत अकादमी तथा राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास मण्डलए देवस्थान विभाग की ओर से ष्वेदों में शक्ति तत्वष् विषयक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 8 सितम्बर से तोतुका सभागार में किया जा रहा है। राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉण् जया दवे ने बताया कि इसमें 10 देशों के विदेशी विद्वान् सम्मिलित होंगे तथा 100 से अधिक देश के ख्यातनाम विद्वद्वर्य वैदिक शक्ति के विभिन्न स्वरूपों पर गहन चर्चा करेंगे। इसमें कई वैज्ञानिक तथा सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र के विद्वज्जन सामयिक विषय पर अपने विचार रखेगें। 9 सितम्बर को प्रेमशक्ति की प्रतीक श्री राधारानी के जन्मोत्सव पर सायंकाल बरसाना (वृंदावन) से आये कलाकारो द्वारा रासलीला का मंचन होगा।
10 सितम्बर को संगोष्ठी का समापन एक विराट् वेद सम्मेलन के रूप में एसण्एमण्एस इन्वेस्टमेंट ग्राउण्डए अम्बेडकर सर्किल के पासए जयपुर में होगा। वेद में शब्द शक्ति एवं उसके घोष का वातावरण पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए 5100 प्रशिक्षित वैदिकों द्वारा सर्वाधिक लोकप्रिय श्रीसूक्त का उद्घोष किया जायेगा। सामूहिक प्रार्थना की अद्भुत ऊर्जा से प्राणी मात्र अपने भीतर एक नवीन स्पंदन का अनुभव करेगा। शक्ति की प्रतीक 108 कन्याओं का पूजन भी इस अवसर पर किया जायेगा। ऋत्विजों द्वारा चारो वेदों की महत्वपूर्ण ऋचाओं का गान भी इस अवसर पर होगा। माननीया मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि होंगी। श्रेष्ठ शक्ति उपासक एवं शाक्त दर्शन विशारद श्रीजीवेश्वर मिश्र मुख्य वक्ता के रूप में सम्मेलन को सम्बोधित करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री विश्वेश्वरानन्द जी महाराज (हरिद्वार) करेंगे। त्रिवेणी धाम के श्रीनारायणदासजी महाराज का सान्निध्य भी प्राप्त होगा।
इस आयोजन में राज्य की अनेक धार्मिकए सामाजिक तथा शैक्षणिक संस्थाओं का सहयोग प्राप्त हो रहा है। श्रीसूक्त के पाठ से वैभव की प्राप्ति एवं त्रिविध तापों का शमन होता है। 5100 विद्वानों द्वारा वेदघोष का यह प्रथम आयोजन है।